विकेंद्रीकृत विकास ही राज्य की नीति - बोस्ता मंत्री

विकेंद्रीकृत विकास ही राज्य की नीति - बोस्ता मंत्री

विकेंद्रीकृत विकास ही राज्य की नीति - बोस्ता मंत्री

विकेंद्रीकृत विकास ही राज्य की नीति - बोस्ता मंत्री

 ( बोम्मा रेडड्डी )


 अमरावती/विशाखापत्तनम :: ( आंध्राप्रदेश ) हम यह कहते हुए कि विकास का विकेंद्रीकरण राज्य सरकार की नीति है, नगर प्रशासन मंत्री बोत्सा सत्यनारायण ने कहा कि सरकार सीआरडीए के कार्यान्वयन के खिलाफ नहीं है।

 कैंप कार्यालय के पास मीडिया से बात करते हुए मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह किसी राज्य का विशेषाधिकार है कि वह अपनी राजधानी का स्थान तय करे।  उन्होंने कहा कि सरकार अमरावती क्षेत्र में भूमि विकसित करेगी और यह समय और धन को देखते हुए किया जाएगा ?

 मंत्री ने पूंजी मुद्दे पर उच्च न्यायालय के फैसले पर तथ्यों को विकृत करने के लिए मीडिया के एक वर्ग को फटकार लगाई और कहा कि राजधानी का मतलब भूमि या अचल संपत्ति या एक समुदाय नहीं होता है और यह भी कहा कि यह पांच करोड़ लोगों को स्वीकार्य होना चाहिए की राजधानी कहां होना चाहिए और राजधानी से समूचे आंध्र प्रदेश को फायदा भी मिलना चाहिए।  उन्होंने कहा कि वे निर्माण में पूंजी पर पांच करोड़ लोगों की राय पर विचार कर रहे हैं ।

 इस बीच विशाखापत्तनम में एक अलग संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए, प्रदेश के विधायक गुडीवाड़ा अमरनाथ ने कहा कि मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी तीनों क्षेत्रों के विकास विकेंद्रीकरण के माध्यम से सभी क्षेत्रों को समान रूप से विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और संविधान भी सभी नागरिकों को सभी पिछड़ी क्षेत्रों को विकास करने का सर्वप्रथम अधिकार सरकार को दिया हुआ है कहा आज इस विकास को करना उस जगह की चुनी हुई सरकार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है ना की किसी एक सामाजिक वर्ग के क्षेत्र को सबसे ज्यादा विकास करना भी संविधान के विरोध है कहा, तेलुगू देशम पार्टी उनकी अवैध संपत्तियों की रक्षा करने और अचल संपत्ति व्यवसाय की रक्षा करने की कोशिश कर रही है।  उन्होंने कहा कि तेदेपा और मीडिया के एक वर्ग ने हमेशा विकास गतिविधियों में बाधा डालने और विशाखापत्तनम की ब्रांड छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है कार्य करने के पीछे एक बहुत बड़ा बेनामी यों के नाम से खरीदी गई संपत्ति को जिस तरह हैदराबाद के हाइटेक सिटी जैसे ब्रांड प्रचार कर बनाकर एक लाख में खरीद कर सात करोड़ में बेची गई थी अमूल किसान जो है एक लाख में बेचा उसे कोई फायदा नहीं हुआ आज भीख मांगू बन चुके हैं उसी के तर्ज पर यहां भी यही योजना साबित करने के लिए कुछ मीडिया गलत प्रचार कर रहा है उसका हम आभास कर रहे हैं और उसके ऊपर हम एक निगरानी रखे हुए हैं कहा   

 उसी तरह यहां भी एक योजना बनी है वह स्पष्ट है लेकिन हर बार कोर्ट के सामने प्रस्तुत करना भी संभव नहीं है काला धन का उपयोग काले ढंग से ही होता है इसको प्रस्तुत करना समय की बात होती है कहा।